कुछ तो लोग कहेंगे… | भाग 2

📖 भाग 2 – “दर्पण में छिपी सच्चाई”







🏙️ शहर वही था, लोग वही थे…


रिया के ऑफिस में आज उसका पहला Public Presentation था।

HR ने कहा था –

“Client सामने होगा… represent yourself confidently.”


रिया तैयार थी, मगर उसका मन नहीं।


ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़ी, उसने वही ‘Future Influencer’ टी-शर्ट निकाली।

और फिर… हाथ रोक लिया।

उसकी माँ की आवाज़ गूंजने लगी —

“रिया… आजकल की लड़कियाँ कुछ ज़्यादा ही खुलने लगी हैं… लोग क्या कहेंगे?”



🪞 दर्पण और डर


रिया ने दर्पण देखा — चेहरा वही, आँखों में डर भी वही।


उसने खुद से सवाल किया –

“क्या मैं वो पहनूँ जो लोग चाहें,
या वो जो मैं चाहती हूँ?”


तभी मोबाइल पर मैसेज टन-टनाया।

रागिनी (ऑफिस की सीनियर):

“Don’t wear boring formals today. Be bold, be real.”


वो मुस्कराई।



🧍🏻 पहली बार… जब वो खुद बनी


रिया ने पहली बार अपनी पसंद की ड्रेस पहनी — न बहुत flashy, न बहुत simple — बस “रिया जैसी”


ऑफिस पहुँची।

Client मीटिंग शुरू हुई।


रिया खड़ी हुई और कहा —

“मुझे नहीं पता मैं perfect दिख रही हूँ या नहीं, पर मैं ये presentation पूरी ईमानदारी से दूँगी… खुद के लिए।”


मिनी-सन्नाटा।

Client ने पूछा — “You mean you chose comfort over corporate code?”


रिया बोली —

“Yes Sir. Because when I’m comfortable, I perform better.”



👏 और तालियाँ गूंज उठीं…


Presentations खत्म हुई।

Boss ने कहा —

“That was bold, real, and impressive. I like honesty.”


रिया का हाथ थामते हुए रागिनी बोली —

“Girl, you just broke a stereotype.”



🏡 पर कहानी अभी बाकी थी…


शाम को रिया घर लौटी।

माँ ने देखा — वो नई सी लग रही थी। आत्मविश्वासी।


लेकिन फिर सवाल आया —

“बेटा… वो टी-शर्ट तो नहीं पहनी थी न?”


रिया रुकी… माँ की ओर देखा…

फिर मुस्कराकर बोली —

“माँ… नहीं पहनी थी। पर जो पहना, उसमें मैं रिया लग रही थी। किसी की परछाईं नहीं।”


माँ कुछ नहीं बोली।

पर पहली बार… मुस्कराई।



🧨 अंत नहीं… शुरुआत है

जब एक लड़की खुद से डरना छोड़ देती है,
तब दुनिया उसे देखना शुरू करती है।


अब रिया के सामने कई राहें थीं:

  • शादी की बात माँ फिर से उठाएगी

  • ऑफिस में उसकी boldness की चर्चा होगी

  • मोहल्ले में फिर से फुसफुसाहटें होंगी


लेकिन अब रिया तैयार थी…



भाग 3 पढ़े 


❤️ क्या आपके साथ भी कुछ ऐसा हुआ है?


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“मैं भी अब अपनी तरह जीना चाहती हूँ।”


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हर कहानी आपकी ही तरह किसी की हिम्मत की शुरुआत है।

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