कुछ तो लोग कहेंगे…
📖 भाग 1 – “शहर की राहें और एक लड़की की उम्मीद”
शहर: मुरादाबाद, जुलाई 2025
पात्र: रिया (28), उसके परिवार की बातें, और "लोग क्या कहेंगे" की आवाज़
✨ शुरूआत:
रिया कॉलेज से निकली, हाथ में नोटबुक, दिल में ख्वाहिश — कि वह अपना पर्स और नौकरी-Chip कंपनी वाली चैट पढ़ेगी, जहाँ वह नई पोस्ट लिखती है।
मगर जैसे ही वह गली से निकली, उसकी टी-शर्ट पर लिखा था: “Future Influencer” — और मोहल्ले की औरतें हँसने लगीं।
“ये क्या पहन ला रही है?”
“ऐसे पहनोगी तो लोग क्या कहेंगे?”
रिया ने बस नज़रें झुका लीं—लेकिन अंदर गुस्सा आया।
“लोग क्या कहेंगे”—यह आवाज़ हर मोड़ पर उसकी पहचान बना दी।
✍️ शुरुआत का झटका:
वह रात फेसबुक पर लिखती है:
“लोग क्या कहेंगे… मुझे रोकेगा क्या?”
पर अगले दिन मॉम ने कहा—
“ये फेसबुक की बातें तुम्हारे सर को चढ़ जाएँगी। लोग क्या कहेंगे?”
रिया चुप थी—लेकिन उसने तय किया कि "लोग क्या कहते हैं" — यह उसकी कहानी रोज़ सुबह पलट देगी।
🧭 मोड़:
दूसरे दिन कॉलेज में प्रोजेक्ट मिला—बॉस बोले:
“Give presentation tomorrow, dress smart.”
हाँ, वही टी-शर्ट फिर से ध्यान में आई। कहीं से धुनाई आने लगी…
वो आवाज फिर से गूंज उठी: “लोग क्या कहेंगे…”
अब रिया ने हिम्मत की — उसने वही टी‑शर्ट पहनी, कमीज़ खोलकर, और सामने खड़ी भीड़ में बोल दी:
“मैं वही हूँ जो मैं बनना चाहती हूँ।”
भीड़ चुप रही। रिया की धड़कन तेज थी।
और कहानी शुरू हो गई…
🚀 आगे क्या होगा?
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क्या कोई रिया को सपोर्ट करेगा?
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मोहल्ले की दादी की टिप्पणी या कॉलेज के दोस्त की बात?
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कहानी में ट्विस्ट जो दर्शाता है कि "लोग क्या कहेंगे" रोकता भी है, बढ़ाता भी है।
🔗 अगला भाग पढ़ने के लिए…
ये कहानी अभी ट्रेलर और भाग 1 है।
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