जब घर भरा हो पर मन खाली – एक दादी की कहानी जो हर परिवार को जोड़ दे

जब घर भरा हो… फिर भी मन खाली – रीमा दादी की वो कहानी जो हर घर में मुस्कान लौटा दे!




शुरुआत

घर में बच्चों की हँसी, रसोई में पकवान की खुशबू, मंदिर की घंटियों की आवाज़… सब कुछ होते हुए भी रीमा दादी का मन कहीं खोया-खोया सा रहता।

सुबह से शाम तक नाती-पोतों की शरारतें, बहू की सेवा, बेटा साथ—फिर भी उनकी आँखों में एक ऐसी उदासी तैरती मानो कोई अधूरा सवाल बार-बार लौट आता हो…

“इतना सब है… फिर भी मन क्यों खाली है?”
यह सवाल उन्हें भीतर तक छू जाता, और कई रातें खिड़की पर बैठकर तारों से बातें करते कटतीं।


लेकिन फिर हुआ कुछ ऐसा… जिसने उनके घर में न सिर्फ रंग भर दिए, बल्कि रिश्तों में वह आत्मीयता लौटा दी जिसकी हर परिवार को तलाश रहती है!


कहानी का विस्तार -

1. बच्चों की दुनिया और दादी की चुप्पी

आँगन में बच्चों की दौड़भाग, खिलौनों की खटर-पटर, और बहू सविता का हड़बड़ाना—सब चलता रहा। लेकिन रीमा जी हर आवाज़ के बीच अपने अंदर की चुप्पी में उलझी रहतीं।

“माँ जी, चाय लीजिए…”
“हाँ बिटिया…” मुस्कुरा देतीं, पर मन कहीं और भटका रहता।


नाती-पोते उन्हें कहानी सुनाने की जिद करते—“दादी, राजा वाली सुनाओ न!”
वो कहतीं—“अच्छा सुनो…” और कहानी शुरू करतीं। पर कहानी खत्म होते ही बच्चे फिर खेल में खो जाते। रीमा जी की आँखों में छिपी उदासी और गहरी हो जाती।


2. बेटा और मन की दुविधा

शाम को बेटा कहता—“माँ, आप बच्चों के साथ समय बिताइए… बाहर चलिए…”
रीमा जी धीमे से जवाब देतीं—“मन तो है कहीं और चला जाता है… पता नहीं क्या खोज रहा है…”

बेटा हँसकर कहता—“मन भी न… चलिए रविवार को घुमा लाएँ…”
लेकिन रीमा जी जानती थीं—समस्या घूमने की नहीं, भीतर की खाली जगह की है।


3. अकेलेपन की रातें

रात होते ही रीमा जी खिड़की से बाहर झाँकतीं। चाँद की रौशनी में उन्हें बीते दिनों की याद आती—त्योहारों की चहल-पहल, पकवानों की खुशबू, रामायण की कथाएँ…

अब सब व्यस्त थे। उनके मन में प्रश्न गूँजता—
“क्या उम्र बढ़ने के साथ ही मन भी बूढ़ा हो जाता है?”

आँखों में आँसू आ जाते, लेकिन वो मुस्कुराकर उन्हें छिपा लेतीं।


4. शांति आंटी – जीवन में मोड़

एक दिन पड़ोस की शांति आंटी आईं और बोलीं—
“रीमा जी, आप सबकी माँ हैं, फिर ये उदासी कैसी?”
रीमा जी ने कहा—“घर में सब है, फिर भी मन खाली है…”

शांति आंटी हँस पड़ीं—
“मन खाली रहेगा तो घास-फूस उग आएगी! चलिए, बच्चों के खेल, त्योहार की तैयारी, कहानी मंडली—सब मिलकर करेंगे। देखिए मन खिल उठेगा!”

रीमा जी पहले चौंकीं, फिर मुस्कुरा दीं। यही वो मोड़ था… जहाँ से सब बदलने वाला था!


5. रंगोली ने बदला सब कुछ

रविवार को आँगन में रंगों की थालियाँ सज गईं। बच्चे शोर मचाते आए—“दादी! हम सबसे बड़ी रंगोली बनाएँगे!”

रीमा जी ने उन्हें सिखाया—“फूल ऐसे बनते हैं… बेल गोल…”

धीरे-धीरे बच्चों ने खेल-खेल में रंगों से कल्पना का संसार रच दिया। रीमा जी खुद रंग भरते हुए बच्चों के साथ हँसी में खो गईं।

उस दिन पहली बार उनकी आँखों में चमक लौटी—वो चमक जो घर के हर कोने में फैल गई।


6. त्योहारों में फिर से रौनक

अब हर त्योहार पर परिवार साथ जुटता। दिवाली पर दीये सजते, पकवान बनते, राखी की थाली चमकती।

नाती पूछते—“दादी, ये क्या है?”
वो बतातीं—“ये तो मेरे मायके की खास रेसिपी है!”

त्योहार अब सिर्फ कार्यक्रम नहीं, परिवार की आत्मा बन गए थे।


7. मन की बात – रिश्तों का जादू

एक दिन रीमा जी ने बहू से कहा—
“बिटिया, तुम्हारी वजह से घर में फिर से रौनक आई है। मैंने सोचा था कि उम्र बढ़ गई तो सब खत्म हो जाएगा… पर अब समझ आई—रिश्तों को समय दो, उन्हें महसूस करो… जीवन खुद खुल जाता है।”

बहू की आँखें चमक उठीं—“माँ जी, आप तो रोज़ हमें नई बात सिखा देती हैं!”

रात को बेटे ने मज़ाक में कहा—“माँ, आप तो बच्चों से भी ज़्यादा एक्टिव हो गई हैं!”
रीमा जी हँसीं—“अरे बेटा, खाली समय से दोस्ती कर ली है हमने… अब वो हमें छोड़कर कहाँ जाएगा!”


8. मन का उजाला – नई शुरुआत

अब रीमा जी बच्चों के साथ खेलतीं, भजन गातीं, पड़ोस की महिलाओं से मिलतीं। उनका चेहरा दमकता रहता।

कोई पूछे—“माँ जी, अब आप इतनी खुश क्यों हैं?”
वो मुस्कुराकर कहतीं—“खुश तो वही होता है जो मन को व्यस्त रखे और रिश्तों से प्यार करे… बस पहल करनी होती है!”


✅ रोमांचक अंत – अगली कहानी का इंतज़ार

एक शाम बच्चों के साथ बैठते हुए रीमा जी ने धीमे से कहा—
“अरे भई, खाली समय से डरना मत… उसे शिकायत से नहीं, अपनापन देकर भर दो… वही खालीपन जीवन का सबसे प्यारा साथी बन जाता है…”

बच्चे हँस पड़े। सब उनके पास सिमट गए।

लेकिन क्या आप जानते हैं?

उस रात रीमा जी के मन में एक नया विचार जन्मा… एक ऐसा विचार जो न सिर्फ उनके घर बल्कि पूरे मोहल्ले को बदल देगा।

क्या था वो विचार?
कौन-कौन जुड़ेंगे इस नई शुरुआत में?
क्या रीमा जी का खालीपन हमेशा के लिए भर जाएगा… या फिर एक नई चुनौती उनका इंतज़ार कर रही है?

➡ अगली कहानी में जानिए…
“रीमा जी की पहल – कैसे एक दादी ने पूरे मोहल्ले में खुशियों का उत्सव शुरू कर दिया!”
रुकिए मत—आपके घर की कहानी भी यही हो सकती है…!


✅ अंतिम संदेश – शेयर करिए!

“अगर यह कहानी आपके दिल को छू गई हो, तो इसे अपने परिवार और दोस्तों के साथ ज़रूर साझा कीजिए। शायद अगला घर आपके शेयर से ही मुस्कुराने लगे! 😊❤️”


अगर चाहें तो मैं अगली कहानी की रूपरेखा भी अभी बना दूँ—बताइए!

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