कुछ तो लोग कहेंगे… | भाग 3

📖 भाग 3 – "शादी के रिश्ते और लोगों की पसंद"




भाग 2 पढ़े 


🏠 माँ की तैयारी, बेटी की उलझन


रिया ने खुद को साबित कर दिया था। ऑफिस में तारीफें, खुद पर भरोसा, और एक नया आत्मविश्वास।


लेकिन घर लौटते ही उसकी माँ ने बात छेड़ दी:

"रिया, शर्मा जी का बेटा आया था आज… बहुत अच्छा लड़का है, सरकारी नौकरी में है। लड़कियाँ लाइन में हैं उसके लिए।"


रिया ने मुस्कराकर कहा –

“माँ, मुझे अभी शादी नहीं करनी।”


माँ की मुस्कान फीकी पड़ गई।

"लोग क्या कहेंगे रिया? एक उम्र होती है शादी की… सब कहेंगे कि कोई दिक्कत है तुम्हारे अंदर।"



💬 मोहल्ले की फुसफुसाहट


अगले दिन कॉलोनी में बुआ जी से मुलाकात हो गई।

"रिया बेटा, अब तो उम्र हो गई तुम्हारी… कोई लड़का पसंद है क्या?"


रिया के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान थी।

“हाँ, पसंद है… खुद को।”


चारों तरफ चुप्पी छा गई।



💢 माँ की नाराज़गी


शाम को घर आते ही माँ का गुस्सा फूट पड़ा।

“तुम्हारे बापू होते तो कभी ये आज़ादी नहीं देते! हमारी भी इज़्ज़त होती है मोहल्ले में!”


रिया की आवाज़ थरथराई पर रुकी नहीं –

“माँ, मैं आपकी इज़्ज़त कभी नहीं गिराऊँगी… लेकिन क्या मेरी ज़िंदगी मेरे फैसलों के बिना पूरी होगी?”


माँ चुप।



📝 एक चिट्ठी जो सब बदल दे


रिया ने उसी रात माँ के लिए एक चिट्ठी लिखी –

माँ, मैं जानती हूँ आप क्या सोचती हैं। आपके डर जायज़ हैं… पर मेरे सपने भी।

मैं चाहती हूँ कि आप मुझ पर गर्व करें, मुझे समझें। मुझे वो रिया बनने दो जो खुद को चुनना जानती है…
…ताकि मैं किसी के भी साथ ज़िंदगी बाँटने से पहले खुद से पूरी हो सकूँ।

- आपकी बेटी


🌄 अगली सुबह


माँ चुपचाप रिया के कमरे में आईं।


उनके हाथ में वही चिट्ठी थी, और आँखों में थोड़ी नमी।

“रिया… तू जैसी भी है, तू मेरी है… बस वादा कर, जब तुझे लगे कि कोई सही है… मुझे बताएगी।”


रिया ने माँ को गले लगा लिया।

“पक्का वादा माँ, लेकिन तब मैं अपनी मर्ज़ी से कहूँगी… किसी के कहने पर नहीं।”



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“मैं अपने फैसले खुद लेना चाहती हूँ।”

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